अंधे की आँख का तारा बनी ये भूतनी, bhoot ki kahani
मित्रों ये bhoot ki kahani एक अंधे की है इस कहानी मे हम आपको बताएँगे की Bhoot Pret कभी कभार अच्छे काम कर जाते है इसलिए उनको अच्छा कहा जाता है। भूत प्रेत अच्छे बुरे दोनों प्रकार के होते है लेकिन ज़्यादातर लोगो का मानना होता है कि खतरनाक होते है। आज के इस दौर मे भूत प्रेतो पर कोई विश्वाश नहीं करता है और हमारा मानना है इन चीजों पर विश्वाश करना भी नहीं चाहिए। आपसे निवेदन है इस कहानी को पूरा पड़े तभी आपको आनंद आएगा आइये जानते है इस कहानी के बारे मे।
bhoot ki kahani |
bhoot ki kahani अंधे की आँख का तारा बनी ये भूतनी
Bhoot ki kahani:-एक बड़े शहर मे एक परिवार रहा करता था उस परिवार मे केवल तीन सदस्य रहा करते थे। उस पूरे परिवार का मालिक ( कलपिनिक नाम ) राम सिंह था। राम सिंह की फेमिली मे उसकी बीबी और और एक बेटा था। उसकी बीबी का नाम ( कलपिनिक ) शीतल था और बेटे का नाम ( कलपिनिक नाम ) अंकुर था। राम सिंह के पास किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी यानि हम आपको बता दे कि राम सिंह के पास सब कुछ था। अपना घरबार जमीन जायदाद लेकिन राम सिंह का बेटा था वो बड़ी मन्नतों के बाद उसको मिला था।
दरअसल राम सिंह कि शादी अंकुर के होने से पहले 20 साल पहले हुई थी। इन 20 सालों तक राम सिंह के यहा कोई औलाद ने जन्म नहीं लिया था इसकी वजह थी राम सिंह की बीबी। राम सिंह की बीबी को कोई भी संतान नहीं हो रही थी तब राम सिंह और राम सिंह की पत्नी ने मंदिरों और मंजितों मे संतान की प्राप्ति के लिए दुया मांगी तब जाकर राम सिंह के यहा पर एक संतान ने जन्म लिया और उसका नाम अंकुर पड़ा अंकुर की उम्र 20 साल हो चुकी थी।
जब तक अंकुर 20 साल का हुआ था तब अंकुर के माँ बाप की उम्र लगभग 50 से 60 साल के बीच हो चुकी थी। अंकुर के माँ बाप लगभग बुड़े ही हो चुके थे और उनकी तबीयत भी खराब रहने लगी थी। अपने माता पिता की देखभाल अंकुर ही किया करता था। 5 साल तक अंकुर अपने माता पिता की देखभाल करता रहा लेकिन एक दिन अचानक अंकुर के पिता की कुछ ज्यादा ही तबीयत खराब हो गई।
अंकुर अपने पिता को लेकर जैसे ही एक डॉक्टर के पास पाहुचा तो उस डॉक्टर ने कहा आपके पिता जी को हार्ट की समस्या है अगर आप थोड़ी सी देर कर देते तो आपके पिता जी को कुछ भी हो सकता था। अंकुर के पिता हालत लगभग सही हो गए थे और अंकुर अपने पिता को घर ले आया था। डॉक्टर ने अंकुर से कहा था कि अपने पिता को नियमित रूप से रोजाना दबाई देते रहना है।
अंकुर ने डॉक्टर कि बात को अच्छे से सुना। अंकुर अपने पिता कि देखभाल करता रहा जब अंकुर के पास अपने पिता के लिए दबाइयाँ खत्म हो जाती तब कुछ दूर जाकर बाजार से दबाइया ले आता। हम आपको बता दे कि अक्सर अंकुर अपने पिता जी के लिए दबाइयाँ अपनी बाइक से लाता था। एक बार अंकुर अपने पिता के लिए दबाई लेने बाजार जा रहा था और उस दुकान पर दबाई लेने के लिए खड़ा था जैसे ही अंकुर ने दबाई उठाई और वहा से जाने लगा तभी एक तेज आ रही कार ने अंकुर की बाइक को चपेट मे ले लिया।
अंकुर को कार की भिढ़त हुई उसी समय अंकुर बेहोश हो गया था। कुछ लोगो ने अंकुर को उस जगह से उठाकर सरकारी अस्पताल पाहुचाया और उसके माता पिता को इस बात की खबर दी जैसे ही अंकुर के पिता को इस बात की खबर लगी उसी समय अंकुर के पिता को हार्ट अटैक आ गया। अंकुर के पिता को मौत मौके पर ही हो गई अंकुर के पिता जान बचाई जा सकती थी लेकिन मौजूदा समय पर उनको अस्पताल ले जाने के लिए वहा पर कोई नहीं था।
ऐसे मे अंकुर का माँ के सामने दो दुख के पहाड़ टूट चुके थे पहला अपने बेटे का दुख और दूसरा अपने जीवन साथी का दुख। अंकुर की माँ से ये दुख सहा नहीं जा रहा था लेकिन हिम्मत जुटाकर अपने पति का दुख भूलाना पड़ा ताकि अपने बच्चे की जान बचा सके। अंकुर की माँ ने पहले अपने बेटे के इलाज के लिए कुछ पैसा जुटाया और उस सरकारी अस्पताल मे गई और वहा से निकाल कर अंकुर को एक प्राइवेट अस्पताल मे भर्ती कराया।
डॉक्टरों ने जल्दी जल्दी अंकुर का इलाज करना शुरू कर दिया था। सबसे ज्यादा अंकुर को उसके सर मे चोटे आई थी और सर का ऑपरेशन डॉक्टरों को करना था। डॉक्टरों ने अंकुर की माँ से साफ कह दिया था कि इस ऑपरेशन मे काफी ज्यादा खतरा है लेकिन अंकुर की माँ ने इसकी इजाजत दे दी। डॉक्टरों ने ऑपरेशन शुरू कर दिया था और अंकुर की माँ सिर्फ भगवान से प्रथना कर रही थी कि उसके बेटे कि जिंदगी कैसे भी बच जाए।
डॉक्टरों के काफी मेहनत करने के बाद अंकुर की जान बचा ली गई लेकिन डॉक्टरों ने अंकुर कि माँ को दुखद खबर बताई वो खबर ये थी कि अंकुर जिंदगी मे कभी भी देख नहीं पाएगा। एक तरफ तो अंकुर की माता को बहुत खुशी थी और दूसरी तरफ इस बात का दुख था की मेरा बेटा पूरी जिंदगी कुछ नहीं देख पाएगा। अंकुर को होश आया तब अंकुर के पास उसकी माँ बैठी थी। अंकुर बार बार अपने पिता को याद कर रहा था। अंकुर की माँ उसको सच नहीं बता रही थी कि उनके पिता जी अब इस दुनिया मे नहीं है।
अंकुर बार बार अपनी आँखों उपर लगी पट्टी छू रहा था और बेचैन हो रहा था। तब उसकी माँ उसकी हिम्मत को बांध रही थी। कुछ दिन बाद अंकुर को माँ अपने घर ले आई और सारी सच्चाई बताई। ये सच्चाई सुनकर अंकुर बुरी तरह से रोने लगा था और अंकुर को इस बात का भी अंदाजा हो गया था कि अब मे अपनी आँखों से कभी भी नहीं देख पाऊँगा। अंकुर को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए वो अपनी हालत को नहीं देख पा रहा था। अंकुर माँ पहले से ज्यादा कमजोर हो गई थी। माँ ने इन दोनों हादसो के दुख से कई दिन तक कुछ नहीं खाया था ये बात अंकुर को पता नहीं थी।
माँ अपने पति याद मे डूबा रहा करती थी और अंकुर से कहती थी कि मेने खाना खा लिया बेटा तू भी खा ले। माँ कमजोर पर कमजोर होती जा रही थी जब तक माँ के हाथ पर चल रहे थे तब तक अपने बेटे का खयाल रख पाती थी लेकिन कमजोरी हालत मे माँ से भी कुछ काम नहीं हो रहा था। शरीर के कमजोर होने के कारण माँ को बीमारिया जकड़ने लगी और वह भी बीमार पद गई। अंकुर को दिखाई नहीं देता था वह भी इस बात से अंजान था वो माँ माँ करके पुकारता था तब उसको माँ अंदर से आबाज दे दिया करती थी।
माँ का ख्याल न रखने के कारण माँ भी इस दुनिया से चली गई। इस बात का पता तब चला तब अंकुर बार बार अपनी माँ आबजे दे रहा था लेकिन माँ अंदर से कोई आबाजे नहीं दे रही थी तभी अंकुर समझ गया था कि माँ को कुछ न कुछ जरूर हुआ है। अंकुर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा तभी पड़ोसी अंकुर के घर मे आए तब माँ को देखा तो माँ गुजर चुकी है। माँ का अंतिम संस्कार काराया गया। अंकुर का इस दुनिया मे कोई नहीं रहा था नाही अंकुर का कोई सगा भाई भी नहीं था।
अंकुर ने अपनी देखभाल करने के लिए कुछ लोगो कि मदद से अपने दोस्त को फोन करबाया और अपने दोस्त से कहा मे बहुत परेशान हूँ तुम्हारी मदद कि बहुत जरूरत है। अंकुर का दोस्त अंकुर के घर पर कुछ दिनो बाद आ जाता है और अंकुर अपने दोस्त को सारी सच्चाई बताता है। अंकुर का दोस्त ने एक महीने तक अपने दोस्त कि अच्छी सेवा की लेकिन उसका दोस्त भी मन मन अंकुर से तंगा गया था। अंकुर के दोस्त ने अंकुर का साथ छोड़ने से पहले एक प्लान बनाया जाते जाते कुछ पैसा भी अपने दोस्त से मारता चलु। अंकुर के दोस्त ने अंकुर से अंकुर से बैंक डिटेल मांगी तब अंकुर हैरान हो गया था कि ये ऐसा क्यू पूझ रहा है। अंकुर को समझ मे आ गया था कि ये मेरा दोस्त सही नहीं है।
दोस्त के लाख पूझने पर अंकुर ने उसको कुछ नहीं बातया। अंकुर दोस्त परेशान था कि कैसे न कैसे इसका पैसा मुझे मिल जाये और मेरी मौज आ जाए। जब इस तरह से अंकुर के दोस्त का काम नहीं चला तब उसने एक आइडिया बनाया की जादू टोना करने वालों के पास जाया तब उसकी सारी जानकारी मिल सकती है। दोस्त उनके पास गया अपनी सारी बात रखी। जादू टोना करने वाले ने कहा हम किसी दिमाग मे घुसकर आपको जानकारी नहीं दे सकते है इसके लिए हमे एक खतरनाक आत्मा भेजनी पड़ेगी।
दरअसल राम सिंह कि शादी अंकुर के होने से पहले 20 साल पहले हुई थी। इन 20 सालों तक राम सिंह के यहा कोई औलाद ने जन्म नहीं लिया था इसकी वजह थी राम सिंह की बीबी। राम सिंह की बीबी को कोई भी संतान नहीं हो रही थी तब राम सिंह और राम सिंह की पत्नी ने मंदिरों और मंजितों मे संतान की प्राप्ति के लिए दुया मांगी तब जाकर राम सिंह के यहा पर एक संतान ने जन्म लिया और उसका नाम अंकुर पड़ा अंकुर की उम्र 20 साल हो चुकी थी।
जब तक अंकुर 20 साल का हुआ था तब अंकुर के माँ बाप की उम्र लगभग 50 से 60 साल के बीच हो चुकी थी। अंकुर के माँ बाप लगभग बुड़े ही हो चुके थे और उनकी तबीयत भी खराब रहने लगी थी। अपने माता पिता की देखभाल अंकुर ही किया करता था। 5 साल तक अंकुर अपने माता पिता की देखभाल करता रहा लेकिन एक दिन अचानक अंकुर के पिता की कुछ ज्यादा ही तबीयत खराब हो गई।
अंकुर अपने पिता को लेकर जैसे ही एक डॉक्टर के पास पाहुचा तो उस डॉक्टर ने कहा आपके पिता जी को हार्ट की समस्या है अगर आप थोड़ी सी देर कर देते तो आपके पिता जी को कुछ भी हो सकता था। अंकुर के पिता हालत लगभग सही हो गए थे और अंकुर अपने पिता को घर ले आया था। डॉक्टर ने अंकुर से कहा था कि अपने पिता को नियमित रूप से रोजाना दबाई देते रहना है।
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अंकुर ने डॉक्टर कि बात को अच्छे से सुना। अंकुर अपने पिता कि देखभाल करता रहा जब अंकुर के पास अपने पिता के लिए दबाइयाँ खत्म हो जाती तब कुछ दूर जाकर बाजार से दबाइया ले आता। हम आपको बता दे कि अक्सर अंकुर अपने पिता जी के लिए दबाइयाँ अपनी बाइक से लाता था। एक बार अंकुर अपने पिता के लिए दबाई लेने बाजार जा रहा था और उस दुकान पर दबाई लेने के लिए खड़ा था जैसे ही अंकुर ने दबाई उठाई और वहा से जाने लगा तभी एक तेज आ रही कार ने अंकुर की बाइक को चपेट मे ले लिया।
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अंकुर को कार की भिढ़त हुई उसी समय अंकुर बेहोश हो गया था। कुछ लोगो ने अंकुर को उस जगह से उठाकर सरकारी अस्पताल पाहुचाया और उसके माता पिता को इस बात की खबर दी जैसे ही अंकुर के पिता को इस बात की खबर लगी उसी समय अंकुर के पिता को हार्ट अटैक आ गया। अंकुर के पिता को मौत मौके पर ही हो गई अंकुर के पिता जान बचाई जा सकती थी लेकिन मौजूदा समय पर उनको अस्पताल ले जाने के लिए वहा पर कोई नहीं था।
ऐसे मे अंकुर का माँ के सामने दो दुख के पहाड़ टूट चुके थे पहला अपने बेटे का दुख और दूसरा अपने जीवन साथी का दुख। अंकुर की माँ से ये दुख सहा नहीं जा रहा था लेकिन हिम्मत जुटाकर अपने पति का दुख भूलाना पड़ा ताकि अपने बच्चे की जान बचा सके। अंकुर की माँ ने पहले अपने बेटे के इलाज के लिए कुछ पैसा जुटाया और उस सरकारी अस्पताल मे गई और वहा से निकाल कर अंकुर को एक प्राइवेट अस्पताल मे भर्ती कराया।
डॉक्टरों ने जल्दी जल्दी अंकुर का इलाज करना शुरू कर दिया था। सबसे ज्यादा अंकुर को उसके सर मे चोटे आई थी और सर का ऑपरेशन डॉक्टरों को करना था। डॉक्टरों ने अंकुर की माँ से साफ कह दिया था कि इस ऑपरेशन मे काफी ज्यादा खतरा है लेकिन अंकुर की माँ ने इसकी इजाजत दे दी। डॉक्टरों ने ऑपरेशन शुरू कर दिया था और अंकुर की माँ सिर्फ भगवान से प्रथना कर रही थी कि उसके बेटे कि जिंदगी कैसे भी बच जाए।
भूत की कहानी |
डॉक्टरों के काफी मेहनत करने के बाद अंकुर की जान बचा ली गई लेकिन डॉक्टरों ने अंकुर कि माँ को दुखद खबर बताई वो खबर ये थी कि अंकुर जिंदगी मे कभी भी देख नहीं पाएगा। एक तरफ तो अंकुर की माता को बहुत खुशी थी और दूसरी तरफ इस बात का दुख था की मेरा बेटा पूरी जिंदगी कुछ नहीं देख पाएगा। अंकुर को होश आया तब अंकुर के पास उसकी माँ बैठी थी। अंकुर बार बार अपने पिता को याद कर रहा था। अंकुर की माँ उसको सच नहीं बता रही थी कि उनके पिता जी अब इस दुनिया मे नहीं है।
अंकुर बार बार अपनी आँखों उपर लगी पट्टी छू रहा था और बेचैन हो रहा था। तब उसकी माँ उसकी हिम्मत को बांध रही थी। कुछ दिन बाद अंकुर को माँ अपने घर ले आई और सारी सच्चाई बताई। ये सच्चाई सुनकर अंकुर बुरी तरह से रोने लगा था और अंकुर को इस बात का भी अंदाजा हो गया था कि अब मे अपनी आँखों से कभी भी नहीं देख पाऊँगा। अंकुर को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए वो अपनी हालत को नहीं देख पा रहा था। अंकुर माँ पहले से ज्यादा कमजोर हो गई थी। माँ ने इन दोनों हादसो के दुख से कई दिन तक कुछ नहीं खाया था ये बात अंकुर को पता नहीं थी।
माँ अपने पति याद मे डूबा रहा करती थी और अंकुर से कहती थी कि मेने खाना खा लिया बेटा तू भी खा ले। माँ कमजोर पर कमजोर होती जा रही थी जब तक माँ के हाथ पर चल रहे थे तब तक अपने बेटे का खयाल रख पाती थी लेकिन कमजोरी हालत मे माँ से भी कुछ काम नहीं हो रहा था। शरीर के कमजोर होने के कारण माँ को बीमारिया जकड़ने लगी और वह भी बीमार पद गई। अंकुर को दिखाई नहीं देता था वह भी इस बात से अंजान था वो माँ माँ करके पुकारता था तब उसको माँ अंदर से आबाज दे दिया करती थी।
माँ का ख्याल न रखने के कारण माँ भी इस दुनिया से चली गई। इस बात का पता तब चला तब अंकुर बार बार अपनी माँ आबजे दे रहा था लेकिन माँ अंदर से कोई आबाजे नहीं दे रही थी तभी अंकुर समझ गया था कि माँ को कुछ न कुछ जरूर हुआ है। अंकुर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा तभी पड़ोसी अंकुर के घर मे आए तब माँ को देखा तो माँ गुजर चुकी है। माँ का अंतिम संस्कार काराया गया। अंकुर का इस दुनिया मे कोई नहीं रहा था नाही अंकुर का कोई सगा भाई भी नहीं था।
अंकुर ने अपनी देखभाल करने के लिए कुछ लोगो कि मदद से अपने दोस्त को फोन करबाया और अपने दोस्त से कहा मे बहुत परेशान हूँ तुम्हारी मदद कि बहुत जरूरत है। अंकुर का दोस्त अंकुर के घर पर कुछ दिनो बाद आ जाता है और अंकुर अपने दोस्त को सारी सच्चाई बताता है। अंकुर का दोस्त ने एक महीने तक अपने दोस्त कि अच्छी सेवा की लेकिन उसका दोस्त भी मन मन अंकुर से तंगा गया था। अंकुर के दोस्त ने अंकुर का साथ छोड़ने से पहले एक प्लान बनाया जाते जाते कुछ पैसा भी अपने दोस्त से मारता चलु। अंकुर के दोस्त ने अंकुर से अंकुर से बैंक डिटेल मांगी तब अंकुर हैरान हो गया था कि ये ऐसा क्यू पूझ रहा है। अंकुर को समझ मे आ गया था कि ये मेरा दोस्त सही नहीं है।
दोस्त के लाख पूझने पर अंकुर ने उसको कुछ नहीं बातया। अंकुर दोस्त परेशान था कि कैसे न कैसे इसका पैसा मुझे मिल जाये और मेरी मौज आ जाए। जब इस तरह से अंकुर के दोस्त का काम नहीं चला तब उसने एक आइडिया बनाया की जादू टोना करने वालों के पास जाया तब उसकी सारी जानकारी मिल सकती है। दोस्त उनके पास गया अपनी सारी बात रखी। जादू टोना करने वाले ने कहा हम किसी दिमाग मे घुसकर आपको जानकारी नहीं दे सकते है इसके लिए हमे एक खतरनाक आत्मा भेजनी पड़ेगी।
bhoot ki kahani :- अंकुर की जिंदगी मे आई एक भूतनी
अंकुर के दोस्त ने जादू टोना करने वाले से कहा की खतरनाक आत्मा का मतलब
तो जादू टोना वाले ने कहा:- की अगर पूरी जानकारी चाहिए तो खूंखार आत्मा का उस पर साबार होना बहुत जरूरी है। तभी उसके दिमाग मे घुस कर सारी जानकारी एक खूंखार आत्मा ही ला सकती है।
इस आत्मा को भेजने से पहले यह जान ले की उस बंदे की जान भी जा सकती है जिस पर आत्मा साबार होगी।
अंकुर के दोस्त ने कहा:- मे इसके लिए तयार हूँ आप जल्दी से इसका इंतजाम करे और जादू टोना वाले ने उस खूंखार bhootni को अंकुर ऊपर छोड़ दिया।
अंकुर का दोस्त जल्दी जल्दी अंकुर के घर गया और अंकुर से कहा मुझे घर किसी अरजेंट काम के लिए कुछ दिनो के लिए बुलाया है मे चलता हूँ और साथ मे ये कहा की मे जल्दी ही तुम्हारे पास किसी और को जरूर भेज दूंगा येसा कह कर वह वहा से चला जाता है। जैसे रात होती है और रात के 12 बजते है तो अंकुर कुछ आबजे सुनाई देती है। अंकुर इन आबाजों को सुनकर इगनोर कर देता है वह सोचता है की कोई बिल्ली होगी जो आबाज कर रही होगी। दुबारा से अंकुर फिर से सो जाता है।
भूतनी अंकुर को डाराने का प्रयास करती है क्योकि किसी के शरीर मे घुसने से पहले आत्मा उस आदमी को हद ज्यादा डराती है तब उसके शरीर मे प्रवेश करती है। दो तीन तक अंकुर वो भूतनी डराने का प्रयास करती है लेकिन जब अंकुर नहीं डरता है तो वो भूतनी खुद अंकुर के सामने खड़ी हो जाती है और अपना भयानक चेहरा बना लेती है। भूतनी ने देखा की ये आदमी मुझ से डर ही नहीं रहा है तो भूतनी अंकुर के सामने हार जाती है लेकिन भूतनी को ये नहीं पता था की अंकुर देख नहीं सकता जब अंकुर देख ही नहीं सकता है तो उसके सामने कितने भी Bhoot आ जाए तो उससे कुछ फरक नहीं पड़ता।
भूतनी अंकुर से बात करने की सोचती है जब अंकुर से बात करती है तो अंकुर को लगता है कि मेरी देखभाल के लिए कोई और आया है तो अंकुर भी उससे बात करता है अंकुर भी नहीं जानता था कि मुझसे एक भूतनी बात कर रही है। भूतनी और अंकुर आपस मे रोज बात किया करते थे और दोनों मे अच्छी ख़ासी दोस्ती भी हो गई थी भूतनी अंकुर का खयाल रखने लगी थी भूतनी को अंकुर बहुत अच्छा लगने लगा था। भूतनी ने अंकुर को बिना आँखों के हर काम करना सीखाया था जैसे खाना बनाना घर के अंदर कैसे चलना। ये सब बातें अंकुर को भूतनी सीखाया करती।
भूतनी अंकुर को बताती रहती थी अंकुर वैसा ही करता रहता था। एक महीने बाद अंकुर को मारने के लिए उसका दोस्त कुछ गुंडों के साथ घर मे घुसता है तो भूतनी को पता चल जाता है कि ये सब अंकुर को मारने के लिए आए है तभी भूतनी अपना भयानक रूप इन गुंडो को दिखाती है और सभी गुंडे वहा से दम दवाकर भाग जाते है और साथ मे अंकुर दोस्त भी वहा से भाग जाता है। जादू टोना वाले ने भूतनी को इसलिए छोड़ा था कि ताकि अंकुर के शरीर मे प्रवेश कर सके और अंकुर की सारी जानकारी ला सके लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और इसका उल्टा हुआ। भूतनी उम्र भर अंकुर साथ रही और उसका खयाल रखा।
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