bhoot ki kahani जिन्न और डायन की टक्कर
bhoot ki kahani:- निशा नाम की लड़की जो एक करोड़पति की बेटी थी। निशा के पिता का नाम शंकर राणा था। निशा बहुत खूबसूरत और होनहार लड़की थी जो पढ़ाई करने में तेज हर काम में लड़को से आगे थी। पिता अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था बेटी की सभी ख्वाइश पूरी करता था की उसकी बेटी कभी दुखी न रहे और जो वह चाहती हो सब उसको मिले। पिता शंकर राणा का बहुत बड़ा बिजनिस था। जो अपने बिजनिस में अच्छे से अच्छे बिजनिस को पीछे छोड़ते थे। शंकर राणा का बिजनिस में सामना करना हर बिजनिस के बसकीबात नहीं थी। निशा को मूवी देखना बहुत पसंद था। शंकर राणा का फलता फूलता कारोबार को देखते हुए अच्छे अच्छे करबारी के सीने पर साप लौटते थे। वह हर प्रयास किया करते थे। जिससे शंकर राणा का कारोबार में नुकशान हो लेकिन ईश्वर की कृपा शंकर राणा पे थी। इसलिए शंकर राणा का कुछ भी नहीं उखाड़ पाते थे। शंकर राणा के विरोधियों को इस कारण रातभर नीद नहीं आती थी। विरोधी चाहते थे। हमारा कारोबार शंकर राणा से आगे जाए इसी सोच में विरोधी रहते थे। तो काली शक्तिओं के जरिये शंकर राणा को हानि पहुंचाने की कोशिश की और एक बहुत बड़े तांत्रिक दुवारा एक चांडाल डायन को जो की बहुत बुरी डायन खूखार डायन थी और बहुत शक्तिशाली ज़िद्दी डायन को निशा के ऊपर छोड़ देता हैं।
निशा के पिता खुद उस आदमी के पास जाते हैं। इस काम को करने के लिए कहते हैं लेकिन वह आदमी मन कर देता सिर्फ दो दिन बचे थे निशा की ज़िन्दगी के पिता खूब गिड़गिड़ा हैं लेकिन वह आदमी किसी तरह मानने को त्यार नहीं था। निशा के पिता यह भी कह दिया था। की चाहे जितनी भी दौलत ले ले लेकिन मेरी बेटी ठीक हो जाए इससे बड़ी कोई और दौलत नहीं हैं। वह आदमी इसलिए मन कर रहा था की कभी जिन्न मान जाये उसे छोड़कर चला न जाये इतने सालो की मेहनत ख़राब न हो जाये लेकिन निशा के पिता भी उस आदमी की कुटिया के सामने पूरी रात बैठे रहते हैं। वह घर नहीं लौटते कुटिया के सामने बैठे रहते हैं। जब दिन निकलते वह आदमी कुटिया से निकलता हैं। निशा के पिता कुटिया के बहार बैठा हुआ पाता हैं। और निशा के पिता फिर से अपनी बेटी को बचाने की गुहार लगाता हैं। और पैरों में गिर जाता हैं। और कहता हैं की मेरी बेटी को बचा लो 24 दिन हो चूका था। सिर्फ एक दिन की ज़िंदगी निशा के पास थी। उस आदमी का दिल पिगल जाता हैं। निशा को बचाने की बात कहता हैं और सबको निशा के पास जाने को कहता हैं। निशा के पिता निशा के पास आ जाते हैं। ईश्वर से प्राथना करते है की ईश्वर उनकी मदद करे वह आदमी जिन्न को अपने पास बुलाता हैं। Jinn aur dayan ki takkar bhoot ki kahani
bhoot ki kahani:- निशा नाम की लड़की जो एक करोड़पति की बेटी थी। निशा के पिता का नाम शंकर राणा था। निशा बहुत खूबसूरत और होनहार लड़की थी जो पढ़ाई करने में तेज हर काम में लड़को से आगे थी। पिता अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था बेटी की सभी ख्वाइश पूरी करता था की उसकी बेटी कभी दुखी न रहे और जो वह चाहती हो सब उसको मिले। पिता शंकर राणा का बहुत बड़ा बिजनिस था। जो अपने बिजनिस में अच्छे से अच्छे बिजनिस को पीछे छोड़ते थे। शंकर राणा का बिजनिस में सामना करना हर बिजनिस के बसकीबात नहीं थी। निशा को मूवी देखना बहुत पसंद था। शंकर राणा का फलता फूलता कारोबार को देखते हुए अच्छे अच्छे करबारी के सीने पर साप लौटते थे। वह हर प्रयास किया करते थे। जिससे शंकर राणा का कारोबार में नुकशान हो लेकिन ईश्वर की कृपा शंकर राणा पे थी। इसलिए शंकर राणा का कुछ भी नहीं उखाड़ पाते थे। शंकर राणा के विरोधियों को इस कारण रातभर नीद नहीं आती थी। विरोधी चाहते थे। हमारा कारोबार शंकर राणा से आगे जाए इसी सोच में विरोधी रहते थे। तो काली शक्तिओं के जरिये शंकर राणा को हानि पहुंचाने की कोशिश की और एक बहुत बड़े तांत्रिक दुवारा एक चांडाल डायन को जो की बहुत बुरी डायन खूखार डायन थी और बहुत शक्तिशाली ज़िद्दी डायन को निशा के ऊपर छोड़ देता हैं।
छोड़ने का तरीका यह होता हैं। की तांत्रिक ने डायन छोड़ने से पहले एक कुछ वस्तुओं का प्रयोग किया था। जैसे मिठाई खिलाकर या कोई चीज छूकर इस विधि से वो डायन निशा पर सवार हो सकती थी। प्लान बना कर किसी सहेली के जरिये शापित मिठाई को खिलाकर डायन को निशा पर सवार कर दिया जाता हैं। जैसे ही निशा मिठाई को खाती हैं। डायन समझ जाती हे कि यही मेरा शिकार हैं। और निशा के शरीर में प्रवेश कर जाती हैं। निशा को कुछ अजीब सा महसूस होता हैं। और निशा रोज़ की तरह अपने काम में लग जाती हैं। लेकिन नहीं पता था। की उसका भेटा एक खतरनाक डायन से होने बाला हैं। निशा इस बात से बेफिक्र थी और रोज़ाना की तरह फिल्म देखना कॉलेज जाना घूमना फिरना मौज मस्ती करना जैसे जैसे डायन निशा को डायन निशा को वश में करने लग जाती हैं। निशा को रात में एक डरावना सपना आता हैं जिससे वह डायन निशा की ओर हस रही होती हे और फिर निशा की गर्दन दवा लेती हैं। निशा झटपटा कर नीद से उठती और डरने लग जाती हैं। निशा का पूरा शरीर पसीना पसीना हो चूका था। निशा बहुत ज्यादा घबरा चुकी थी।
थोड़ी देर बाद निशा वेहोश हो जाती जब सुबह होती हैं। तो वह टाइम पर नहीं उठती और सोती रहती हैं। निशा के पिता जब निशा टाइम पर नहीं उठती हैं तो निशा के कमरे में जाकर निशा को उठाते लेकिन निशा नहीं उठ रही थी। काफी देर प्रयास करने के बाद निशा के चेहरे पर पर पानी की कुछ बूदें छिड़कते है निशा हड़बड़ा कर उठती हैं। और रोने लग जाती हैं। पिता निशा पूझते हे कि क्या बात हो गयी निशा सिर्फ रो ही जा रही थी। पूझने पर निशा अपने बारे में बताती हैं। शंकर राणा अपनी बेटी को समझाते की ऐसी कोई भूत प्रेत नहीं होते ये सिर्फ एक डरावना सपना था। इस सपने से ज्यादा डरने की जरूरत नहीं हैं। निशा ने इतना डरावना सपना कभी नहीं देखा था। इसलिए बहुत ज्यादा डर गयी थी। पिता के समझाने पर निशा उस सपने को भूलने का प्रयास करती हैं। जब निशा अकेली होती तो वह निशा को दिखाई देकर ओझल हो जाती थी कभी निशा ने इसको वहां समझा लेकिन कई बार निशा के साथ ऐसा होने लगा दिन में वह डायन दिखाई देने लग जाती थी। जब अपने पिता को यह बताती तो वह निशा का विश्वाश नहीं किया करते थे। निशा ने किसी को यह बात नहीं बताती थी। और गुमसुम रहने लग गयी थी। निशा का डर की वजह से दिमागी संतुलन विगड़ने लग चूका था। निशा धीरे बीमार होने लगती हैं शरीर भी काफी कमजोर हो जाता हैं। Jinn aur dayan ki takkar bhoot ki kahani घर पर डॉक्टर बुला कर कई दिन तक निशा का इलाज चलता रहा।
लेकिन निशा की तबियत में सुधार नहीं आया जब निशा तबियत ज्यादा ख़राब होने लगी तो निशा के पिता उसको बहुत बड़े हॉस्पिटल में भर्ती करवा देते हैं। डॉक्टर पूरे शरीर का चेकउप मसीनो दुवारा करते लेकिन निशा की मेडिकल रिपोर्ट सब सही आती डॉक्टर भी हैरान हो जाते हे सभी रिपोर्ट भी ठीक हे लेकिन ऐसी कोनसी बीमारी है जो निशा को लग गयी हैं। 6 ,7 दिन उस हॉस्पिटल में निशा का इलाज चलता हैं। नर्स रात के समय को इंजैक्शन देने जा रही थी तब उस नर्स ने निशा को विकराल रूप में देखा वह बेड पर बैठी थी और उलटी सीदी सांसें ले रही थी। और मुँह से आबाज निकल रही थी हूँ हूँ हूँ इन ाबाजे सुनकर नर्स वहा से भाग जाती है। पूरे स्टाफ को इस घटना की जानकारी देती हैं। जैसे स्टाफ वह पर पहुँचता है निशा बेहोशी की हालत में पड़ी होती हैं।निशा आँखें काली पड़ती जा रही थी। स्टाफ ने निशा के पिता फ़ोन यह जानकारी दी पिता समझ गए थे की कोई न कोई भूत प्रेत चक्कर जरूर हैं। निशा हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करके घर ले आते हैं। और फिर भूत प्रेत भागाने बाले मोलबी और बाबाओ से संपर्क करते है। जो की कितने भी पैसे ले ले लेकिन निशा का इलाज कर पाए बहुत अच्छा मोलबी निशा का इलाज करने के लिए आता हैं। वह मोलबी निशा को एक खाली जगह पर इलाज करने लग जाता हैं। और निशा के शरीर में जो भी हैं उसे मंत्रो तंत्रो के दुवारा बुलाता हैं। और वह डायन मोलबी के पास आ जाती हैं।
मोलबी डायन को अपनी जकड में लेने लग जाता लेकिन डायन इतनी ताक़तवर थी मोलबी के वश में नहीं आयी और मोलबी को मारने का जातां करने लगी मोलबी मन्त्रों तंत्रों दुवारा अपनी जान बचा कर आया और निशा के पिता से कहा की तुम्हारी बेटी एक ऐसी डायन के कव्जे में हैं बहुत ज़ालिम और खतरनाक हैं निशा की ज़िन्दगी सिर्क 25 दिन की हैं अगर इस डायन से इन 25 में छुटकारा नहीं दिलाया तो निशा को यह डायन धीरे धीरे तड़पा तड़पा कर मार देगी ये डायन आपके विरोधियों ने छुड़वाया हैं। अगर कोई निशा इस डायन से छुटकारा दिला सकता हैं। या तो ईश्वर या अनंत शक्तिशाली हो जो इस डायन बहुत ज्यादा ताक़तवर हो ऐसा सुनकर पिता की आँखों में आंसू आ गए काम धाम छोड़कर बहुत ज्यादा तादात में लोग खोजबीन में लगा दिए जाते की कोई ऐसा व्यक्ति हो इस समस्या सुलझा सके खोज करते 15 निकल जाते हैं लेकिन ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिलता जो निशा का इलाज कर सके। निशा पिता ने अपनी हिम्मत नहीं हारी और लगातार खोजबीन में लगे रहे तो 23 में दिन एक व्यक्ति ने एक आदमी का पता बताया की दिखने केवल साधारण सा दिखाई देता हैं लेकिन उस आदमी ने सिद्धि के जरिये एक जिन्न को मना रखा हैं जो उस आदमी का कहना मानता हैं। अगर उसके पास जाओ तो वह मान गया तो तुहारा काम हो जायेगा नहीं तो वह आदमी ऐसा काम नहीं करता हैं। उस आदमी की जिन्न गहरी दोस्ती है इसलिए ऐसे नहीं करता हैं एक साधारण कुटिया में रहता है।
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निशा के पिता खुद उस आदमी के पास जाते हैं। इस काम को करने के लिए कहते हैं लेकिन वह आदमी मन कर देता सिर्फ दो दिन बचे थे निशा की ज़िन्दगी के पिता खूब गिड़गिड़ा हैं लेकिन वह आदमी किसी तरह मानने को त्यार नहीं था। निशा के पिता यह भी कह दिया था। की चाहे जितनी भी दौलत ले ले लेकिन मेरी बेटी ठीक हो जाए इससे बड़ी कोई और दौलत नहीं हैं। वह आदमी इसलिए मन कर रहा था की कभी जिन्न मान जाये उसे छोड़कर चला न जाये इतने सालो की मेहनत ख़राब न हो जाये लेकिन निशा के पिता भी उस आदमी की कुटिया के सामने पूरी रात बैठे रहते हैं। वह घर नहीं लौटते कुटिया के सामने बैठे रहते हैं। जब दिन निकलते वह आदमी कुटिया से निकलता हैं। निशा के पिता कुटिया के बहार बैठा हुआ पाता हैं। और निशा के पिता फिर से अपनी बेटी को बचाने की गुहार लगाता हैं। और पैरों में गिर जाता हैं। और कहता हैं की मेरी बेटी को बचा लो 24 दिन हो चूका था। सिर्फ एक दिन की ज़िंदगी निशा के पास थी। उस आदमी का दिल पिगल जाता हैं। निशा को बचाने की बात कहता हैं और सबको निशा के पास जाने को कहता हैं। निशा के पिता निशा के पास आ जाते हैं। ईश्वर से प्राथना करते है की ईश्वर उनकी मदद करे वह आदमी जिन्न को अपने पास बुलाता हैं। Jinn aur dayan ki takkar bhoot ki kahani
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जिन्न उस आदमी के पास आ जाता हैं। और कहता कैसे याद किया मुझे वह आदमी कहता ही हैं जिन्न कहता है की मुझे सब कुछ पता हैं। की तुमने मेरे खोने दर को हटा कर एक लड़की की ज़िन्दगी का तोहफा उसके बाप को दिया मुझे अच्छा लगा की तुमने मेरे जरिए किसी की जान बचाने का काम किया यह देखकर मुझे अच्छा लगा और वह से गायब हो जाता हैं। जिन्न निशा के पास पहुंच जाता हैं। तो देखता हैं की भयानक डायन निशा के शरीर को हॉबी हो चुकी थी। निशा को धीरे धीरे मौत के मुँह में धकेल रही थी। जिन्न अपनी शक्ति से उस डायन को निशा के शरीर से निकालता हैं। और दोनों भयानक टकराव हो जाता हैं। जिन्न तो जिन्न उसकी शक्ति का तो कोई ठिकाना नहीं जिन्न उस डायन को अपनी शक्ति से जलाकर राख कर देता हैं। और जितनी भी उस तांत्रिक ने निशा टोकते किये थे। वह सब जिन्न नस्ट कर देता हैं इस तरह डायन का अंत हो जाता है निशा ठीक हो जाती हैं जाते जाते जिन्न निशा के सर पर हाथ रख कर जाता जो किसी को दिखाई नहीं देता जिससे कोई बुरी शक्ति निशा को हानि पंहुचा ने की कोशिश करे तो पहले याद करले की ऐसा करने पर जिन्न से भी टकराना पद सकता हैं
दोस्तों आपको यह कहानी कैसे लगी कमेंट में जाकर बताइये और शेयर जरूर करे आपका दी शुभ हो।
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