रूहानी भटकती आत्मा की कहानी का भाग 2, Ghost Stories
भूत की कहानी |
नमस्कार दोस्तों आप सभी का हमारे ब्लॉग यानी भूत की कहानी में बहुत- बहुत स्वागत है। आज हम आपको एक ऐसी कहानी के बारे में बताने जा रहे है जो एक भटकती आत्मा की कहानी Ghost Stories के ऊपर है। आपसे अनुरोध है कृपया इस कहानी को पूरा पड़े तभी आपको आनंद आएगा।
Ghost Stories :- कुछ बरसों पहले एक घटना घटी इस घटना में एक लड़की की हत्या की गई और उसके साथ गलत किया गया था।
एक 15 साल की लड़की जिसका ( कल्पिनिक नाम ) नाम किरण था। किरण के परिवार में उसके माता-पिता के अलाबा और चार बहन भाई थे वह उस परिवार में सबसे बड़ी संतान थी। किरण के माता-पिता किरण को एक डॉक्टर बनाना चाहते थे इसलिए उसकी पढ़ाई लिखाई बहुत अच्छी तरीके से करा रहे थे।
किरण अपनी पढ़ाई के लिए काफी मेहनत किया करती थी। किरण रात दिन अपनी पढ़ाई पर ही ज्यादातर ध्यान देते थी ताकि वह बड़े होकर एक डॉक्टर बन सके और अपने माता-पिता का नाम रोशन कर सकें। किरण के पिता किरण को पढ़ाने के लिए रात दिन मेहनत किया करते थे ताकि उसकी बच्ची बड़े हो और कुछ बन सके। किरण ने हाई स्कूल का एग्जाम ही दिया था एग्जाम देने के बाद स्कूल की छुट्टियां पड़ी।
किरण के माता पिता ने सोचा कि इन छुट्टियों में कहीं घूम कर आना चाहिए। उन्होंने प्लान बनाया कि एक रिश्तेदार के यहां हमें घूमना जाना चाहिए और अपने बच्चों को भी साथ ले जाना चाहिए। किरण के पिता ने अपने रिश्तेदार के यहां जाने के लिए सभी बंदोबस्त कर लिया था। एक ट्रेन मे सभी परिवार के सदस्यों के लिए टिकेट भी बुक कर लिए थे।
Ghost Stories |
सभी सदस्य ट्रेन में सवार हो गई थे। जिस रिश्तेदार के घर जा रहे थे उस रिश्तेदार का घर लगभग 300 किलोमीटर दूर था। ट्रेन में काफी ज्यादा भीड़ भाड़ थी। भीड़-भाड़ की वजह से किरण के पिताजी को चिंता हो रही थी कि इतने लंबे समय तक कैसे खड़े होकर हम अपने रिश्तेदार के घर जा पाएंगे। करण के पिता जी को एक आईडिया आया कि अगले स्टेशन आने तक जिस भी डिब्बे में जगह मिले वह वही सभी को शिफ्ट कर दे।
अगला स्टेशन आया तो किरण के पिताजी ने कुछ पीछे वाले डिब्बे की खोजबीन की ताकि उनमें कुछ जगह खाली मिले तो पिछले डिब्बे में कुछ यात्री उतरे थे उनकी जगह खाली हो गई थी। किरण के पिता ने अपने परिवार को लेकर उस डिब्बे में बैठने का निर्णय ले लिया। उस डिब्बे में परिवार के सभी सदस्य आराम से बैठ चुकी थी लेकिन किरण के लिए अभी भी जगह नहीं बची थी। किरण के पिताजी ने सोचा कि किरण को पिछले डिब्बे में क्यों ना बैठाया जाए कि वह आराम से मां बैठ सके और आराम से अपना सफर तय कर सके।
किरण के पिता ने यह भी सोचा था कि किरण काफी समझदार है और वह सभी समस्याओं को आराम से सुविधा सकती है। करण के पिता जी ने किरण को पिछले डिब्बे में आराम से बैठा दिया और खुद अपने परिवार के सदस्य के साथ अगले डिब्बे में बैठ गए। किरण के पिताजी जब भी कोई स्टेशन आता था जहां पर ट्रेन रुकती थी उसी समय पिछले डिब्बे में अपनी बेटी का हाल-चाल पूछने जाते थे ताकि उसे कोई समस्या तो नहीं आ रही है।
किरण की पिताजी ने तीन स्टेशन तक तो ऐसा ही किया और जब रात हो गई तब उनके परिवार के सभी सदस्य आराम से सो गए थे और पिछले डिब्बे में बैठी करंट भी आराम से सो रही थी। रात के 2:00 बज रहे थे और सभी ट्रेन की यात्री सो रहे थे उस समय पर ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी हुई थी और उस स्टेशन पर चार गुंडे उसी डिब्बे में घुसे जिसे डब्बे में किरण आराम से सो रही थी। गुंडे उस ट्रेन के डिब्बे में जाकर सभी से टिकट मांग रहे थे मैं अपने आप को टीटी बता रहे थे।
उस डिब्बे में बैठे 50 से 60 यात्रियों का वह गुंडे टिकट चेक कर चुके थे। धीरे धीरे बहुत किरण की और भी बना रहे थे जब उन गुंडों ने किरण से पूछा कि तुम्हारा टिकट कहां पर है तो किरण ने जवाब दिया कि मेरा टिकट मेरे पिताजी के पास है जो अगले डिब्बे में बैठे हैं लेकिन उन गुंडों ने किरण की एक न मानी और अपने साथ यह बहाना करके ले गए कि वह पुलिस स्टेशन को ले जा रहे हैं।
ट्रेन में बैठे यात्रियों को भी यह लग रहा था की वाकई में यह टीटी होंगे तभी यह सब टिकट चेक कर रहे थे यात्रियों को बिल्कुल भी शक नहीं पढ़ा था कि यह टीटी नहीं बल्कि चार गुंडे हैं जो रोजाना ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। किरण को उन गुंडों ने ट्रेन से नीचे उतार लिया था और अपने साथ ले जा रहे थे कुछ देर बाद ही ट्रेन भी वहां से रवाना हो जाती है। जब सुबह होती है तो किरण के पिताजी सबसे पहले अपनी बेटी का हाल-चाल लेने पिछले डिब्बे में आते हैं लेकिन वहां उनकी बेटी कहीं भी दिखाई नहीं देती है और पिता के होश उड़ जाते हैं की आखिर उनकी बेटी कहां गई जब उनकी बेटी नहीं मिलती है तब पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत करते हैं।
पुलिस इस मामले में अपनी तलाश शुरू कर देती है और किरण को चप्पे-चप्पे पर ढूंढने का प्रयास जारी रखती है। 4 दिन बाद पुलिस को एक लड़की की लहास मिलती है जोकि उसी बच्ची की लाश होती है जिसका नाम था किरण इस बात की खबर जब पिताजी को लगती है तो उनके पैरों से जमीन खिसक जाती है। किरण की मौत का जिम्मेदार वह खुद को मानने लगते हैं की है ना उसे पिछले डिब्बे में बैठा थे ना ही यह दुर्घटना होती। पूरा परिवार अपनी किरण को खोने के बाद बहुत ही दुखी था और यह दुख कई महीनों तक रहा था महीनों के बाद जाकर धीरे-धीरे यह दुख को किरण का परिवार फूल पाया था।
ट्रेन के उतरने के बाद क्या हुआ था किरण के साथ
Ghost Stories :-किरण को 4 गुंडों ने ट्रेन से उतारकर पुलिस स्टेशन के बहाने वह किरण को एक जंगल में ले गए थे जो स्टेशन से कम से कम 3 या 4 किलोमीटर दूर था। जंगल में एक पुराना सा कमरा नमूना बना हुआ था जहां पर कोई भी नहीं रहता था दूर दूर तक कोई भी चिड़िया वहां पर नहीं आती थी। किरण को उसी खंडहर पढ़ें कमरे में बैठाया गया और उसे हथियार दिखाकर भी डर आ गया। किरण यह देख कर काफी दुखी थी और उन गुंडों से मांग कर रही थी कि भैया मुझे छोड़ दो लेकिन वह गुंडे उसके रोने पर भी दया नहीं कर रहे थे।
चारों गुंडों ने किरण के साथ हथियार दिखाकर पूरी रात गलत काम किये जब सुबह के 4:00 बजने का टाइम हो रहा था तब किरण जोरो जोरो से चिल्ला रही थी तभी उन चारों गुंडों ने किरण का मुंह दबा लिया और गला घोट कर उसकी हत्या कर दी। वह चार गुंडे वहां से भाग गए और किरण की लाश को ऐसा ही छोड़ गए।
भटकती आत्मा का कहर
Ghost Stories :-किरण की मौत बहुत ही बेदर्दी की मौत हुई थी और उसकी मौत अकाल मृत्यु थी इसलिए उसकी आत्मा उस स्टेशन के आसपास भटक रही थी। यह आत्मा पूरे स्टेशन पर रात को भटका करती थी लेकिन इस आत्मा को किसी ने देखा नहीं था ये आत्मा बुरे लोगो के लिए काल हुआ करती थी और अच्छे लोगो की मदद किया करती थी। किरण की आत्मा उन चारों गुंडा का इंतजार कर रही थी इनकी वजह से अपने माता पिता से अलग हुई थी और अपनी जान गवानी पड़ी थी।
यह चारों गुंडे जब किरण को मरने के बाद वहा से भाग गए थे और कही दूर जाकर रह रहे थे ताकि उनके बारे मे पुलिस को पता न चल सके। ये गुंडे 4 चार तक इस जगह से दूर रहे और 4 चार बाद अपनी जगह पर दुबारा लौटे कुछ दिन तक वो गुंडे शांत रहे और कुछ बाद इन गुंडो वही काम शुरू कर दिया था जो पहले करते थे। इन गुंडो ने किरण की तरह एक लड़की को फिर से किसी ट्रेन से उठाया और उस लड़की को भी उसी जगह ले गए जहा पर किरण को ले जाकर मारा गया था जब तक उस लड़की के साथ वह गुंडे कुछ गलत कर पाते जब तब किरण की आत्मा उस लड़की के शरीर मे प्रवेश कर जाती है।
किरण की आत्मा अपना भयानक रूप इन चारों गुंडो को दिखाती है। ये चारों गुंडे किरण की आत्मा को देखकर बहुत ज्यादा घबरा जाते है और वहा से भागने लगते है लेकिन उस समय 12 बजे से ऊपर टाइम हो रहा था। इसलिए किरण की आत्मा बहुत ही पावरफूल हो गई थी ये चारों अपनी जान बचाने के लिए जंगल मे भाग रहे थे। भयानक आत्मा इनका पीछा कर रही थी। ये चारों गुंडे अपनी जान बचाने के लिए चीखने चिल्लाने लगे थे लेकिन किरण की आत्मा इनको छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी।
जब इन चारों को भागते भागते पसीना आ गया था तब जाकर एक जगह पर ये चारों रुक गए और भगवान से प्रथना कर रहे थे कि ये भगवान हमे बचा लो लेकिन ऐसे राक्षसों की भगवान भी नहीं सुनता। किरण की आत्मा ने इन्हे एक एक करके ट्रेन के नीचे काट काट कर दर्दनाक मौत दी। सुबह जब हुई तब इन चारों की लाशें पटरिओ पर पड़ी थी और उसी जगह वह लड़की भी बेहोशी की हालत मे पड़ी थी उस लड़की को बचा लिया गया और इस तरह से किरण की आत्मा ने इन चारों गुंडो से अपनी मौत का बदला लिया।
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यह चारों गुंडे जब किरण को मरने के बाद वहा से भाग गए थे और कही दूर जाकर रह रहे थे ताकि उनके बारे मे पुलिस को पता न चल सके। ये गुंडे 4 चार तक इस जगह से दूर रहे और 4 चार बाद अपनी जगह पर दुबारा लौटे कुछ दिन तक वो गुंडे शांत रहे और कुछ बाद इन गुंडो वही काम शुरू कर दिया था जो पहले करते थे। इन गुंडो ने किरण की तरह एक लड़की को फिर से किसी ट्रेन से उठाया और उस लड़की को भी उसी जगह ले गए जहा पर किरण को ले जाकर मारा गया था जब तक उस लड़की के साथ वह गुंडे कुछ गलत कर पाते जब तब किरण की आत्मा उस लड़की के शरीर मे प्रवेश कर जाती है।
किरण की आत्मा अपना भयानक रूप इन चारों गुंडो को दिखाती है। ये चारों गुंडे किरण की आत्मा को देखकर बहुत ज्यादा घबरा जाते है और वहा से भागने लगते है लेकिन उस समय 12 बजे से ऊपर टाइम हो रहा था। इसलिए किरण की आत्मा बहुत ही पावरफूल हो गई थी ये चारों अपनी जान बचाने के लिए जंगल मे भाग रहे थे। भयानक आत्मा इनका पीछा कर रही थी। ये चारों गुंडे अपनी जान बचाने के लिए चीखने चिल्लाने लगे थे लेकिन किरण की आत्मा इनको छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी।
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जब इन चारों को भागते भागते पसीना आ गया था तब जाकर एक जगह पर ये चारों रुक गए और भगवान से प्रथना कर रहे थे कि ये भगवान हमे बचा लो लेकिन ऐसे राक्षसों की भगवान भी नहीं सुनता। किरण की आत्मा ने इन्हे एक एक करके ट्रेन के नीचे काट काट कर दर्दनाक मौत दी। सुबह जब हुई तब इन चारों की लाशें पटरिओ पर पड़ी थी और उसी जगह वह लड़की भी बेहोशी की हालत मे पड़ी थी उस लड़की को बचा लिया गया और इस तरह से किरण की आत्मा ने इन चारों गुंडो से अपनी मौत का बदला लिया।
अंधे की आँख का तारा बनी ये भूतनी
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