bhoot ki kahani डरावनी कहानी खुनी हवेली में जन्मा शैतान
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हवेली की पेंटिंग भी खराब हो गयी थी जो एक खंडर सा दिखाई देता था। वेसे तो लोग कम हवेली के पास जाया करते थे। हवेली के मालिक के कहने पर सफाई करने सफ़ाई कर्मचारी जाया करते थे तो उन्हें कुछ एहसास होता था। और बाद में अजीबो गरीब आवाजे आना कुछ सामान का गिरना तो कर्मचारी हैरानी होती और वहा से भाग जाया करते कर्मचारियों को ऐसा लगता जेसे हवेली में कोई हे
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फिर दुवारा वापस नहीं आते थे। कभी कादार बारिस या बहुत ठण्ड के चलते मानसिक रूप से बीमार आदमी इस हवेली में बारिस या ठण्ड से बचने के लिए इस हवेली के बाहर रुक जाया करते थे। मानसिक रूप से बीमार आदमी को अपनी सूद नहीं होती तो bhoot pret की क्या सूद होगी। कई मानसिक रूप से बीमार आदमियों मौत भी हो जाती थी।
जिसको लोग यही मानते थे कि ठंड या बीमारी से इनकी मौत हुई होगी। इस हवेली में आत्माओं का साया बहुत अधिक हो चूका था। इतने सालो से हवेली खाली पडी हो तो जाहिर सी बात है
कुछ न कुछ् तो हवेली में होगा। एक मानसिक रूप बीमार औरत जो ही पूरे तरिके से पागल थी। वह प्रेग्नेंट थी यहाँ इधर उधर भटक रही थी। कुछ दरिंदे होते हे जो ये नहीं सोचते की कोई क्या गलत हे क्या सही सिर्फ अपना मतलब निकलना शुध हे।कुछ दरिंदों की बजह से ये पागल औरत प्रेग्नेंट थी।ठण्ड का समय चल रहा था।
ये पागल औरत ठंड से बचने के लिए उसी हवेली में पहुच जाती हैं। हवेली बहार कुछ दिन बिताती है जब बहुत ज्यादा ठण्ड पड़ने लगी तो ये पागल औरत हवेली के अंदर चली जाती हैं। वहा पर रहने लगती हैं आत्माए अपनी हरकत दिखा रही थी। लेकिन यह पागल औरत इतना समझती तो इस हालात में नहीं होती इस औरत को 9 महीना चल रहा था।
इस कारण इस औरत पर चला भी नहीं जा रहा था। की सायद चला जा रहा होता तो इधर इधर भटक कर सायद हवेली से निकल जाती यह औरत वही उसी हवेली में भूखी प्यासी पड़ी रहती है।
रात के 11 बजे इस पेट में दर्द होने लगता है।जो दर्द से चिल्लाने लगती इसकी चिल्लाने को कोई सुननेवाला नहीं था। जो उसकी मदद कर सके दर्द ओर बढ़ने लगता हैं। और एक बच्चे की की रोने की आबाज आती इस औरत के बच्चा हो चूका था। बच्चा रोता रहता हैं। बच्चा भूखा था इस बच्चे की माँ बच्चे को जन्म देते ही मर गयी थी। बच्चा चिल्लाता रहा जब रात का 1 बज रहा था बच्चा रो रहा था। आत्माओं का आगमन हो चूका था ।
रोते हुऐ बच्चे को देख आत्माओं ने बच्चे पर हमला बोल दिया जिससे बच्चा आत्माओं का प्रकोप 10 से 15 ही झेल पाया और बच्चे की मौत हो जाती हैं। माँ बेटे की लाश की कवर हवेली में बन जाती हैं।पागल औरत की बेटे की आत्मा एक शैतान का रूप धारण कर लेती हैं। जिससे वह हवेली ओर भी खतरनाक बन जाती हैं। जो भी इस में गुसा उसकी मौत पक्की थी। एक महीने के बाद चार टूरिस्ट लोग थे जिनकी गाड़ी ख़राब हो जाती हे
और रात समय था उनकी गाड़ी हवेली थोड़ी दूर ही थी वह चरों लोग अपनी गाड़ी का बोनट उठाकर ठीक करने का प्रयास करने लगे कई घंटों की मसक्कत करने के बाद गाड़ी ठीक नहीं हुई दो लोग गाड़ी के पास रुकते हे और दो लोग मदद मागने के लिए चारो और गए लेकिन उन्हें कोई नहीं मिला उन्होंने हवेली की ओर देखा की यहाँ सायद आदमी तो जो हमारी मदद कर सके वह दोनों लोग हवेली के बाहर से आवाजे लगाते किसी के न होने पर वह दोनों लोग हवेली के अंदर चले जाते हैbhoot ki kahani।
और जोर से आवाज देने लगते हैं। लेकिन वहां पर कोई नहीं था।जेसे ही बाहर को आने को होते हे वेसे हवेली के सभी दरबाजे अपने आप बंद हो जाते हैं।वह दोनों डर से चीखने चिल्लाने लगते है। दरबाजे को बार बार खोलने का प्रयास करते हे लेकिन दरबाजा नहीं खुलता है।सभी दरबाजे खोलने की कोशिश लेकिन एक भी दरबाजा नहीं खुलता हैं। दोनों बहुत ज्यादा डरे होते है फिर अचानक हवेली से किसी शैतान की आवाजे सुनाई पड़ती दोनों लोग चुप चाप खड़े हो जाते है।
शैतान ने उन दोनों को देख चूका था ।जब शैतान उन दोनों में एक को पकड़ लेता हैं। जिन्दा आदमी को फाड़ कर उसका मांस खाने लगता दूसरा आदमी यह नज़ारा बेहोश हो नीचे गिर पड़ता है।शैतान दोनों को जिन्दा फाड़ कर खा जाता हैं। जो कार के पास जो लोग खड़े थे कई घंटे इंतजार के बाद वह दोनों लोगो ढूढने लगते ढूढ़ते ढूढ़ते हवेली के अंदर चले जाते हैं।और उनका भी यही हाल होता है।ऐसे चारों टूरिस्टो की जान शैतान ले लेता है
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ReplyDelete[…] Read More:-khooni haveli me janma shaitan […]
ReplyDeleteA large percentage of of the things you mention is astonishingly appropriate and it makes me wonder the reason why I had not looked at this with this light before. This particular article really did turn the light on for me personally as far as this specific subject matter goes. However at this time there is one particular issue I am not necessarily too comfortable with and while I make an effort to reconcile that with the central theme of the issue, permit me observe just what all the rest of your readers have to say.Very well done.
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