परी की दोस्ती bhoot ki kahani
bhoot ki kahani:- एक सूरज नाम का लड़का जिसकी उम्र 24 या 25 साल होगी सूरज बहुत सूंदर लड़का था। बाते भी बहुत सूंदर करता था। सूरज एक कारखाने में काम करता था। वह घर से खाफी गरीब था। उसके पिता की मौत 10 साल पहले हो गयी थी।घर को चालने के लिए माँ घर घर जाकर वर्तन मांझना कपडे धो कर अपने परिवार का खर्च चलाती थी।
सूरज का एक छोटा भाई जिसकी उम्र 8 साल एक बहन जिसकी उम्र 17 साल और माँ चार लोगो परिवार था। माँ के बुढ़ापे के आने पर पूरा भार सूरज पर आ गिरा था। इसलिए सूरज अपने परिजनों का पेट भरने के लिए कारखाने में नोकरी करता था। कारखाने में सभी मजदूर सूरज को पसंद किया करते थे। जब सूरज को तनखा मिला करती वह अपनी माँ के हाथ में तनखा रख देता था।
वह कुया इतने जंगल में था। की आशानी से कुया ढूढ़ना मुश्किल हो जाए रात में परी कुए से बहार निकलने को होती हे तो उसे सूरज की लाश दिखाई देती है। तो परी उसे झुकर देखती हे तो सूरज की सांसें चल रही होती है। अपनी दिव्या शक्ति से परी सूरज का भूतकाल देखती हे तो परी को समझ में आ जाता की सूरज के साथ गलत हुआ हैं। तो परी सूरज के जख्मो पर अपना हाथ फेरती है। तो सूरज धीरे धीरे होश में आने लगता है।
सूरज की माँ भी सूरज पर नाज किया करती थी। उनका परिवार कुसल मंगल जीवन जी रहा था। सूरज की माँ को भी कोई चिंता नहीं थी। की उनका पति इस दुनिया नहीं हैं। सूरज पुरे परिवार की जरुरत पूरा करता था। इसलिए सभी ख़ुशी से रहते थे। सूरज का छोटा भाई खेलता और बहन सूरज के खाना बनाकर देती सूरज दिल लगाकर मेहनत करता और शाम को घर आ जाता। सूरज की कारखाने मालिक से अच्छी बात हो चुकी थी।
सूरज पर कारखाने का भी बहुत ज्यादा भरोसा करने लगा था। सूरज को कारखाने का मालिक कभी रुपया लेकर बैंक में जमा करना कभी कारखाने के मालिक के घर जाकर जरूत बाले कागज लाना कारखाने का मालिक काम करबाता था। सूरज बहुत खुश रहता था। कारखाने के मालिक ने सूरज तनखा भी बड़ा दी थी। कारखाने के मालिक की एक बेटी थी जिसका नाम नीता था। उसकी उम्र 20 साल थी।
जब सूरज कारखाने के मालिक के भेजने घर जाता तो नीता सूरज को देखती रहती सूरज नीता को नहीं देखता था। नीता को धीरे धीरे सूरज से प्यार होने लगा था। लेकिन सूरज को इस बात की कोई खबर नहीं थी। नीता के लिए नीता के घरबाले एक बड़े शहर में रिश्ता लेकर गए थे। Pari ki dosti
लेकिन नीता को घरबालो ने नीता को नहीं बताया था। की हम रिश्ता देखने जा रहे हैं। नीता के घर कोई नहीं था तो नीता ने कारखाने में फ़ोन करके सूरज को बुलाने को कहा सूरज नीता के घर पहुच जाता हैं। नीता सूरज को देखकर सूरज के गले लग जाती है। सूरज इसका विरोध करता है। लेकिन नीता सूरज से अपने प्यार का इजहार कर देती हैं।
सूरज डर जाता है। की कही मेरे मालिक को पता चल गया तो वह मुझे नोकरी से निकाल देगे सूरज नीता से ऐसा करने के लिए मना कर देता है। और कारखाने को बापस आ जाता है। जब नीता के घर बाले घर आकर नीता को गुड न्यूज़ देते है की तुम्हारा रिश्ता एक बड़े खानदान में तय हो गया है। तो नीता गुमसुम सी हो जाती है तो नीता से उसके घरबाले पूझते हे क्या बात हे तो नीता सूरज से शादी करने को कहती हैं।
तो नीता का परिवार आग बबूला हो जाता है। नीता परिवार बाले नीता को समझाते हे लेकिन नीता नहीं मानती हैं और परिवार बालो को अपनी जान देने मई धमकी देती हैं अगर मेरी शादी सूरज से नहीं हुई तो में अपनी जान दे दूंगी। घर बाले घबरा जाते है। नीता के पिता सूरज को रास्ते से हटाने का प्लान बना लेता हैं। और 7 8 गुंडों को सूरज को मार कर कही ऐसी जगह फेकना हैं
जहा उसकी लाश भी न मिले जब सूरज काम करके घर की तरफ आ रहा होता हे तो वह गुंडे सूरज को पकड़कर गाड़ी में डाल लेते है। और जंगल में जा कर धारदार चाकू से सूरज पर हमला करते है। सूरज मरा देख वह गुंडे सूरज को एक बियाबान जंगल में एक कुए में डाल देते है। सूरज के घर न आने पर सूरज की माँ कारखाने जाकर पूझती हे की सूरज कहा हैं। कारखाने में मजदूर सब कहते हे की सूरज तो बहुत देर का जा चूका है।
इतना सुनकर सूरज की माँ परेशांन गो उठती हैं। और इधर उधर ढूँढने लगती है। लेकिन सूरज का कुछ पता नहीं चलता है। सूरज के परिवार में किसी ने खाना नहीं खाया होता है वह सब इंतज़ार में थे क़ि कब सूरज आएगा और हम साथ में खाना खायेगे। सूरज को जिस कुए में डाला था। उस कुए में बरसो से परी रहती थी।
वह कुया इतने जंगल में था। की आशानी से कुया ढूढ़ना मुश्किल हो जाए रात में परी कुए से बहार निकलने को होती हे तो उसे सूरज की लाश दिखाई देती है। तो परी उसे झुकर देखती हे तो सूरज की सांसें चल रही होती है। अपनी दिव्या शक्ति से परी सूरज का भूतकाल देखती हे तो परी को समझ में आ जाता की सूरज के साथ गलत हुआ हैं। तो परी सूरज के जख्मो पर अपना हाथ फेरती है। तो सूरज धीरे धीरे होश में आने लगता है।
परी सूरज का ख्याल रखने लग जाती है। परी को पता होता है क़ि सूरज एक नेकदिल इंसान है। जब तक सूरज ठीक नहीं होता हे तब तक परी सूरज के साथ रहती है। सूरज ठीक होने के बाद परी को अपनी दस्ता सुनाता हे और परी से बाते करने करता सूरज इंतना भोला था। की उसकी बातें और उसका सच्चा दिल देख परी सूरज से मोहित हो जाती है सूरज को एक बहुत बड़ा बिजनिस मैन बनाने को बोलती है। और तभी घर जाने को कहती हैं।
सूरज परी बातों पर करते हुअ वह अपने घर पहुच जाता है। उसके परिवार में हुशहाली माँ माहोल हो जाता है। सूरज उस नोकरी को छोड़कर अपने परिवार को लेकर एक बड़े शहर में चला जाता हैं। और अपना छोटा सा बिजनिस स्टार्ट करता है। परी सूरज की पूरी सहायता का रही थी। सूरज धीरे धीरे अपना एक विशाल बिजनिस खड़ा कर लेता हैं। जब सूरज का बिजनिस सही तरीके से चलने लगता है।
तो परी उस राज़ को सूरज को बताती हैं क़ि तुम्हे मरबाने तुम्हारा कारखाने का मालिक था। जहा तुम काम किया करते थे। सूरज सब कुछ समझ जाता है। सूरज इतना अमीर हो चूका था। की कारखाने का मालिक सूरज के सामने कुछ भी नहीं था। कारखाने के मालिक का इतना घटा चल रहा था कि वह कर्जे में डूबे चूका था। सूरज ने कारखाने के मालिक के सभी कारखाने खरीद लेता और उसको रोड पर ले आता है।
जब कारखाने के मालिक को ये सब पता चलता हे की कारखाने खरीदने बाला और कोई नहीं बल्कि सूरज हैं। तो कारखाने का मालिक सूरज से माफ़ी मागने लगता है। तो सूरज उसे अपनी माँ के कहने पर माफ़ कर देता है। नीता और सूरज की शादी हो जाती है। परी सूरज को इंसाफ दिलाकर लौट जाती है।
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