bhoot ki kahani बोतल में कैद जिन्न की आजादी का रहष्य
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bhoot ki kahani :- एक गरीब मछुआरा जो की बहुत गरीब था।उसके चार छोटे बच्चे और एक बीबी उसका परिवार था। वह अपना घर चलाने के लिए नदी से मछली पकड़ कर लाता उन्हें बेचकर वो अपना घर का खर्चा चलाता था। कभी मछली न मिलती तो पूरा परिवार भूखा ही सो जाता था। ठण्ड का समय चल रहा था मछुआरा मछली पकड़ने नदी पर जाता लेकिन एक भी मछली मछुआरे के हाथ नहीं लगती वो घर को बापस आ जाता और अपनी गरीबी को कोश्ने लगता बच्चे मछुआरे से कहते पापा हमें भूख लग रही हैं . मछुआरा बच्चों से कुछ न कहता .
मछुआरे की बीबी बच्चों को आसरा दिया करती थी की देखो चूला जल रहा है इसमें खाना बन रहा हैं जब बन जायेगा तो तुम्हे दे दूंगी लेकिन चूला तो जल रहा था चूले पर रखे बर्तन में कुछ नहीं होता तो बच्चों दिलासा दिला दिलाकर बच्चों को भूखा ही सुला दे देती थी इस प्रकार कई दिनों तक ऐसा चलता रहा मछुआरा मछली पकड़ने जाए तो दो चार मछली हाथ लग जाये तो मछुआरा उन मछिलियो को लेकर अपने घर जाता है और मछिलियो को पका कर अपने बच्चों को खिला देता हैं दोनों मिया बीबी भूखे ही सो जाते हैं एक बार जब मछुआरा मछली पकड़ने को नदी पर जाता हैं
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जैसे ही नदी में जाल फेकता हैं वेसे ही मछली तो नहीं सिर्फ एक पुराणी सी बोतल जाल में फस जाती है मछुआरा उस बोतल को देखने के बाद उस बोतल को अपने पास रख लेता हैं मछुआरा उस बोतल को लेकर अपने घर आ जाता हैं एक कोने में उस बोतल को रख देता हैं मछुआरे का एक बच्चा बोतल को देखने लगता हैं बोतल को वहा से उठा लेता हैं बोतल को खोल देता हैं उस बोटल के खोलने पर एक पुराणी सी चाबी और एक पुराने कागज में कुछ लिखा हुआ निकलता है मछुआरा जब घर आता है तो वह बच्चा बोतल से निकली चाबी और लिखा हुआ कागज दिखाता हैं मछुआरा अनपढ़ था इसलिये वह उस पर्चे को पड़ नहीं सकता था चाबी और पर्चे को वो अपने पास रख लेता है
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अपनी जानकारी में पड़े लिखे इंसान को वह परचा दिखाता हैं मछुआरा पड़ने के लिये बोलता हैं वह इंसान इस पर्चे में लिखी भाषा समझ नहीं पाता और मछुआरे को बताता है क़ि यह परचा बहुत साल पुराणी भाषा में लिखा हुआ हैं इसे केवल जिसको पुराणी भाषाओ को ज्ञान होगा वही इंसान इस भाषा को पड़ सकता है मछुआरा घर आ जाता हे बार बार चाबी की देखता रहता हैं और सोचता हे कही ये चाबी किसी खजाने की तो नहीं हैं मछुआरा रोज सुबह मछली पकड़ने को निकल जाता जो मछली उसको मिलती वो उनको लेकर घर आ जाता बाकि बचे समय में उस पर्चे क्या लिखा हैं वह जगह- जगह दिखता लेकिन कई दिनों तक उसको कोई ऐसा इंसान नहीं मिला जो पर्चे में लिखी भाषा को समझता एक इंसान था जो
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पुराणी सी पुराणी भाषा को पड़ना जानता था उस इंसान को अपने पिता और दादा जी से उन पुराणी भाषाओ का पड़ने का ज्ञान मिला था मछुआरे को उस इंसान के घर का पता मिल जाता हैं मछुआरा उस पते पर जाकर उस इंसान से मिलता हैं परचा निकाल कर उसको दिखाता हैं वह इंसान उस पर्चे को पड़ता हैं मछुआरे से पूझता है क़ि ये ये परचा तुम्हें कहा से मिला मछुआरा बताता है यह परचा मुझे नदी से मिला जब मेने मछली पकड़ ने के लिए जाल डाला तो एक बोतल मेरे जाल में फस गई उस बोतल में चाबी और परचा निकला वह इंसान मछुआरे से कहता हे क़ि इस पर्चे में किसी जिन्न की क़ैद की जानकारी है जो कई सालो पहले इस जिन्न को कैद किया था
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और मछुआरे वह जिन्न कहा कैद है उसका पता भी वह इंसान उस पर्चे में पड़कर बता देता हैं मछुआरा उस पर्चे को लेकर घर आ जाता है इसी सोच में डूबा रहता है क़ि मेने कोई खजाना हाथ लगेगा खजाना तो जिन्न की कैद की जानकारी हाथ लगी मछुआरा परेशांन रहने लगता है उस जिन्न की चिंता करने लगता हैं जब उससे रहा नहीं जाता तो जिन्न को आजाद कराने की ठान लेता है मछुआरे को इस बात का पता होता है की इसमें मेरी जान भी जा सकती हैं
इस बात की परवाह किये बिना जिन्न को आजाद कराने की ठान लेता है वह दिन रात मछली पकड़ता है ताकि उसके परिवार में कोई 8 दिन भूखा न रहे ये सब इंतजाम करके जिन्न को आजाद कराने को रबाना गई जाता हैं उस इंसान जितनी जानकारी मछुआरे को बताई थी मछुआरा उन सब जानकारी अच्छी तरह से याद रखता है और चलता जाता है मछुआरा 5 दिन तक लगातार चल कर उस पहाड़ी पास पहुच जाता है उस पर्चे में इस पहाड़ी का जिक्र था और एक गुफा तथा एक संदूक का राज उस पर्चे में लिखा हुआ था लेकिन मछुआरे उस पहाड़ी पर कोई गुफा नजर नहीं आ रही थी मछुआरा पहाड़ी के ऊपर चढ़ता चला गया कुछ समय बाद मछुआरे को वह गुफा दिख जाती हैं
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मछुआरा उस गुफा की और बढ़ता है गुफा के अंदर चला जाता मछुआरा डर भी रहा था उस संदूक की तलाश करने लग जाता है कुछ दूरी पर संदूक रखा हुआ दिखाई दे जाता है मछुआरा उस संदूक को उठाने के लिए आगे बढ़ता हे जेसे ही संदूक वहा उठता हे वेसे ही पूरी गुफा हिलने लगती है मछुआरा उस से निकलने के किये बहार की भागता हे भागते भागते पीछे बड़े बड़े पत्थर नीचे गिर रहे थे मछुआरा कैसे न कैसे अपनी जान बचाकर उस गुफा बहार आ जाता हैं
संदूक जिसमे जिन्न कई सालों से कैद था मछुआरा उस संदूक को उस चाबी की मदद से खोलता है खोलने के बाद उस संदूक में सुराई नमूना बर्तन रखा होता हैं मछुआरा सुराई नमूने बर्तन को खोल देता हैं उस बर्तन से धुया सा निकलने लगता हैं और भयानक जिन्न मछुयारे के सामने हँसने लगता हैं मछुआरा डर जाता हैं जिन्न मछुआरे से कहता है क़ि तुम मारने के लिए तयार हो जाओ मछुआरा चौक जाता हैं जिन्न से कहता हे क़ि में अपने परिवार को अकेले छोड़ कर अपनी जान दाओ पर लगा कर तुम्हे यहाँ आजाद कराने को में यहाँ तक आया था तुम ही मेरी जान लेना चाहते हो मछुआरा और जिन्न में बहुत देर तक बहस चलती हे bhoot ki kahani
जिन्न नहीं मानता हे क्योकि जिन्न इंसानो से नफरत करता था इंसानो ने ही जिन्न को यहाँ कैद करके छोड़ दिया था जिन्न मछुआरे की कोई बात नहीं मानता और मारने को जेसे तलवार उठता है मछुआरा ईश्वर का नाम लेके खड़ा हो जाता है जेसे ही जिन्न मछुआरे पर तलवार से वॉर करता हे वेसे ही मछुआरे के चारो और सुरझा कवज बन जाता है जिन्न बार बार मछुआरे को मारने का प्रयास करता लेकिन मछुआरे मार नहीं पाता है ईश्वर ने जिन्न को कुछ समय के दण्डित करते जिससे जिन्न चीखने चिल्लाने लगता हैं यह दर्द मछुआरे देखा नहीं जाता इसलिए मछुआरा bhoot ki kahani.
ईश्वर से प्राथना कर जिन्न को छोड़ने की गुजारिश करता है ईश्वर जिन्न को छोड़ देते हैं जिन्न ईश्वर से माफ़ी मागता हे और और उस मछुआरे से भी मागता है और कहता हे की जो अपनी की परवाह किये बिना मुझे आजाद कराने यहाँ था में उसे मारना चाहता था यह मेरी बहुत गलती हे इस ज़माने बुरे इंसान तो हे ही लेकिन अच्छे इंसान बहुत है और मछुआरे को जिन्न हीरे जेवरात पैसा देता जिससे मछुआरे सारी गरीबी दूर हो जाये और अपने परिवार का खुश देख सके मछुआरे को जिन्न अपने साथ लेकर मछुआरे के घर तक छोड़ कर चला जाता है मछुआरा के परिवार में सारी खुशिया लौट आती है
इस कहानी से ये साबित जरूर होता है जिसको राखे सैंया मार सके न कोए
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