moral stories in hindi, ameer aur gareeb antar


अमीर अमीर होता जा रहा है और गरीब गरीब ऐसा क्यों, ये सबाल भगवान ने इंसान से पूझा 

दोस्तों हम आपको ऐसी moral stories in hindi के बारे में बताने जा रहे है जो एक व्यक्ति गरीबी से परेशांन हो कर भगवान् को सीधा कोसने लगता है। भगवान् से सबाल करता है की मुझे इतना गरीब क्यों बनाया है तो भगवान् ही इस व्यक्ति का सबाल इस व्यक्ति के जरिये देते है आइये जानते है ये सबाल क्या था।










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moral stories in hindi, अनीर और गरीब का अंतर 



एक आदमी जिसका नाम रामेश्वर था। वो अपनी फॅमिली के साथ एक गांव में रहा करता था। रामेश्वर अपनी फॅमिली का पालन पोषण करने के लिए मेहनत मजदूरी किया करता था। उस मेहनत मजदूरी के रुपयों से अपना घर चलता था। रामेश्वर इतना गरीब था कि वह रोजाना सिर्फ अपने बच्चो के लिए खाने के लिए पैसे इकट्ठा कर पाता था और कभी कभी तो घर में खाना बनाने के लिए भी रामेश्वर पर पैसे नहीं हुआ करते थे। जब रामेश्वर की मजदूरी लग जाती तभी रामेश्वर का घर का खर्चा चलता था। आप सभी लोगो को पता तो होगा कि हर काम का सीजन तो होता है और हर काम का मंदा भी आता है। ज्यादातर मजदूरी का सीजन गर्मी में ही चलता है मतलब जब तक बारिश न हो।







रामेश्वर मेहनत मजदूरी से घर चालाता था। एक साल धुआधार बारिश पड़ने लगती है जो कि रुकने का नाम नहीं लेती। यह बारिश एक महीने तक पड़ती रहती है। रामेश्वर को तो मजदूरी का काम मिलना बंद हो जाता है। 15 दिन का घर का खर्चा रामेश्वर उधारी पर चलाता है। 15 दिन के बाद रामेश्वर को उधारी भी नहीं मिलती है। रामेश्वर का परिवार भूखा ही सोने लगता है। कभी रामेश्वर को इधर उधर छोटा मोटा काम मिल जाया करता था जिससे सिर्फ एक समय का खाना बन सके। फिर रामेश्वर को छोटा मोटा भी काम मिलना बंद हो जाता है क्योकि बारिश इतनी ज्यादा पद रही थी कि सभी लोग अपने अपने घरो में घुसे हुए थे। न कोई बाहर  आ रहा था। तो रामेश्वर को ऐसी स्थिति में काम मिलना असंभव था। रामेश्वर का परिवार तीन दिन से भूखा मर रहा था।












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रामेश्वर से ये सब देखा नहीं गया और किसी जंगल की ओर निकल पड़ता है। जाते जाते भगवान् को गाली देने लगता है मतलब भगवान् को कोसने ने लगता है कि मुझे ही तूने भगवान् इतना गरीब क्यों बनाया है जो में अपने बच्चो का भी पेट नहीं भर सकता। ऐसे ही बड़बड़ाते हुए रामेश्वर जंगल की गहराइयों में जला जाता है। जब रामेश्वर चलते चलते थक जाता है तो वो एक किसी पेड के नीचे बैठकर भगवान् को कोसने ने लग जाता है। ये सब देख भगवान् को भी दुःख होता है जो व्यक्ति भूखा प्यासा सिर्फ भगवान् का स्मरण कर रहा हो। चाहे वो भगवान् को कोस क्यू न रहा हो। भगवान् रामेश्वर का दुःख देख उस जंगल में आ जाते है और एक साधू रूप धारण कर लेते है। रामेश्वर की ओर बढ़ने लगते है रामेश्वर से मिलते है कि तू क्यू रो रहा है और भगवान् को इतनी गालिया क्यों दे रहा है।






रामेश्वर साधू के रूप में भगवान् से कहता है कि अगर भगवान् है तो उस भगवान् ने मुझे ही क्यों गरीब बनाया है। उस साधू से बार बार यही साबाल पूझता रहता है। साधू के रूप में भगवान् भी चुप्पी साध लेते है और सोचने लगते है कि रामेश्वर तो ठीक कह रहा है। थोड़ी देर बाद रामेश्वर को एक जगह जाने को कहते है।












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साधू के रूप में bhagwaan कहते है :- रामेश्वर तू एक काम कर तेरे साबाल का जबाब तुझे जरूर भगवान् दे देंगे तू थोड़ी सी दूर जा जहा पर तुझे दो कुए दिखाई देंगे वहा से किसी एक कुए की ईट तोड़कर लिया। रामेश्वर उस साधू की बात को मानकर वहा चला जाता है। कुछ दूरी पर जाकर रामेश्वर को दो कुए दिखाई देते है। रामेश्वर  को देखकर हैरान हो जाता है की आख़िरकार में कोनसे कुए ईट तोड़कर उस साधू को ले जाकर दू। दरअसल वह दो कुए थे एक कुया वीरान पड़ा हुआ था। उस कुए की हालात बहुत ही ख़राब थी। और दूसरा कुया संगेमरमर का बना हुआ कुया था जो दिखने में बहुत सूंदर दिख रहा था। रामेश्वर इसी बात को सोचने लगता है की कोनसे कुए से वह ईट लेकर उस साधू को दे।













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रामेश्वर काफी सोचने के बाद डिसाइड कर लेता है कि उसे कोनसे कुए की ईट उस साधू को देनी है। रामेश्वर संगेमरमर के कुए के पास जाता है और ईट निकालने की सोचता है लेकिन उसका मन विचलित हो जाता है कि इस शानदार और सूंदर दिखने वाले कुए से ईट तोड़कर निकालना गलत होगा। फिर रामेश्वर उस खंडर नुमा कुए के पास चला जाता है। जहा उसे टूटा फूटा कुया दिखाई देता है। उस कुए से रामेश्वर एक ईट को उखाड़ लेता है और उस साधू के पास जाने लगता है। साधू के पास जाने के बाद उस ईट को साधू को दे देता है। 


साधू के रूप में भगवान् रामेश्वर से पूझते है :- की तू कौन से कुए से ये ईट को तोड़के लाया है। रामेश्वर उस साधू से कहता है कि महाराज वहा पर दो कुए थे जो एक कुया संगेमरमर का बना हुआ था उस कुए की ईट को तोडना मुझे अच्छा नहीं लग रहा था। इसलिए महाराज में दूसरे कुया जो कि पूरी तरह से खण्डर पड़ा हुआ था। उस कुए की ईट को उखाड़ कर ले आया।












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moral stories in hindi

भगवान् का जबाब:- रामेश्वर जबतू उस संगेमरमर के कुए ईट उखाड़के नहीं ला पाया तो में कैसे आमेरो को कैसे उखाड़ सकता हूँ। मुझे भी संगेमरमर के कुए के सामान ये आमिर दीखते है। मनुष्य का जन्म अगर गरीब परिवार में होता है वह कोई अभिशाप नहीं होता। उस मनुष्य को मेहनत के बल पर ये सब मुकाम हासिल करना पड़ता है और में उसका ही साथ देता हूँ जो लगातार मेहनत के बल पर कुछ पाने की इच्छा रखता हो। रामेश्वर से भगवान् कहते है तू घर जा अब तो तेरे समझ में आ गया होगा की अमीर अपनी मेहनत के बल पर अमीर बने है। और अपने बच्चो के लिए खाना ले कर आ और भगवान् रामेश्वर को कुछ सोना दे जाते है और वहा से चले जाते है। रामेश्वर घर आकर उस सोने को बेचकर अपने बच्चा के लिए खाना लाता है और कड़ी मेहनत करने लगता है जिससे वह अपने बच्चो का भविष्ये बना सके।


दोस्तों हमें इस moral stories in hindi से क्या सीख मिली दोस्तों भगवान् भी उसका का साथ देते है जो अपनी मेहनत के बल पर बनना चाहता हो। अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी हो तो हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब कर ले और साथ ही अपने दोस्तों दोस्तों के साथ शेयर करना विल्कुल भी न भूले आपका दिन शुभ रहे। 


3 Comments

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